बीजेपी ने फिर से जमाया जनाधार, जानिए कैसे 170 दिन में पलट दी बाजी, पूरा समीकरण समझिए

नई दिल्ली: जून 2024 को आम चुनाव का परिणाम आया था। BJP अकेले दम बहुमत से दूर रही। कहा गया कि नरेंद्र मोदी की अगुआई में BJP अपना सर्वश्रेष्ठ पीछे छोड़ चुकी है। अब यहां से पार्टी और सरकार को बहुत संघर्ष करना होगा। उन्हें दूसरे सहयोगी दलों से समझौता

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नई दिल्ली: जून 2024 को आम चुनाव का परिणाम आया था। BJP अकेले दम बहुमत से दूर रही। कहा गया कि नरेंद्र मोदी की अगुआई में BJP अपना सर्वश्रेष्ठ पीछे छोड़ चुकी है। अब यहां से पार्टी और सरकार को बहुत संघर्ष करना होगा। उन्हें दूसरे सहयोगी दलों से समझौता कर रहना होगा साथ ही उभरते विपक्ष की आक्रामकता का सामना भी। हालात देखते हुए यह भी कहा गया कि आने वाले समय के हर विधानसभा चुनाव में BJP को दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। इसके पीछे कारण था कि अब तक जितने भी विधानसभा चुनाव होते थे वहां BJP लोकसभा चुनाव के मुकाबले कमजोर प्रदर्शन करती थी। शुरू में कुछ संकेत भी मिले और एक के बाद एक ऐसे फैसले हुए जिसने सरकार और पार्टी के इकबाल पर सवाल उठे। मगर, चार जून से लेकर 23 नवंबर के बीच BJP और सरकार ने खामोशी से गलतियों से सीख लेकर और विपक्ष की गलतियों को लाभ उठाकर पूरी सियासी बाजी पलट दी।

पहले कुनबा समेटा

इन 170 दिनों में सबसे पहले पार्टी और सरकार के स्तर पर BJP ने सबसे पहले अपने कुनबे को समेटा। उन्हें एकजुट रखने में सफलता पाई। उनकी बातों को सुना। BJP पर भले कमजोर होने का आरोप लगा लेकिन अपने सहयोगियों को हिस्सेदारी अधिक दी। संदेश दिया कि वह गठबंधन की राजनीति को लेकर गंभीर है।

सोशल इंजीनियरिंग

दूसरे चरण में पार्टी और सरकार ने सोशल इंजीनियरिंग पर पूरा फोकस रखा। आम चुनाव में दलित वोट BJP से छिटके थे। इसके पीछे संविधान बदल देने का नैरेटिव था। जाति जनगणना को लेकर भी OBC में भी निराशा आने लगी थी। ‌BJP ने आम चुनाव के तुरंत बाद इसपर काम करना शुरू किया। राहुल गांधी की अमेरिका में आरक्षण में दिए गए स्पीच को आधार बनाकर BJP लगातार सक्रिय रही। पार्टी के अंदर अमित शाह और खुद नरेंद्र मोदी ने सोशल इंजीनियरिंग को पूरा केंद्र में रखा। हरियाणा चुनाव और महाराष्ट्र चुनाव में इसका पूरा फोकस में रखा। बाबू लाल मरांडी और चंपाई सोरेन को अपने पाले में लाकर ट्राबइल वोट भी वापस लेने की कोशिश की। अंतत: 170 दिनों की लगातार कोशिश के बाद BJP अपने बिखरे जनाधार को फिर से वापस पाने में सफल रही।

हिंदुत्व की नई पिच

जातियों में उलझती राजनीति और विपक्ष की ओर से जाति जनगणना का दबाव बनाए जाने के बाद बीजेपी ने इन 170 दिनों में इसका भी काट ढूंढा। BJP ने विपक्ष और खासकर कांग्रेस की इस नैरेटिव को ग्रेटर हिंदू दांव से काउंटर किया। उन्होंने जाति जनगणना के दांव को जातियों में बिखराव करने की कोशिश कही। इस दांव में पहले राउंड में कांग्रेस जीती थी तो दूसरे दौर में 170 दिनों बाद BJP ने जीत हासिल की।

हरियाणा ने दिया टेक ऑफ का मौका

हरियाणा चुनाव ने BJP को टेकऑफ करने का मौका दे दिया। इसमें कांग्रेस की रणनीतिक भूल भी रही। हरियाणा में कांग्रेस ने हरियाणा में जाट राजनीति पर अधिक फोकस किया। उनके खुद के दलित नेता कुमारी सैलजा ने अपनी ही पार्टी के दावे पर अपरोक्ष रूप से सवाल खड़े किए। यहीं से BJP को मौका मिला और पलटवार कर दिया। पार्टी ने वहां पूरी गैर जाट वोट खासकर OBC वोट को अपने पक्ष में कर लिया। यही मॉडल पार्टी ने महाराष्ट्र में अपनाया। टिकट वितरण में इस समीकरण का खास ख्याल रखा गया। कुल मिलाकर 170 दिन बाद BJP अपने शीर्ष की ओर से फिर जाती दिखने लगी।

अब सियासी दौड़ पर विराम

अब अगले एक साल सियासी दौड़ पर लगभग विराम-सा रहेगा। अगले साल दिल्ली विधानसभा के चुनाव होंगे जो फरवरी में प्रस्तावित है। इसके बाद अगले साल के अंत में बिहार में चुनाव होंगे। सियासी चरण में यह एक साल सबसे सुस्त माना जाता है। ऐसे में समय का इस्तेमाल BJP अब अपने लंबित अजेंडे को आगे बढ़ाने में कर सकती है। अभी आने वाले दिनों में बीजेपी को कई अहम फैसले लेने हैं। जनगणना के स्वरूप पर सरकार को फैसला लेना है। वक्फ बोर्ड से जुड़े बिल को संसद से पास करवाना है। परिसीमन और एक देश, एक चुनाव पर अंतिम फैसला लेना है। आर्थिक रूप से सरकार के सामने कुछ गंभीर चुनौतियां खड़ी हुई है। इन तमाम मोर्चों पर सरकार अब बोल्ड फैसला ले सकती है और शनिवार को आए जनादेश ने उनके लिए राहें आसान कर दी।

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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